दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में पढ़ रहे
कार्तिकेय का कहना है कि कभी-कभी कुछ इंसान हमारे जीवन में ऐसे आते हैं, जो हमें सिर्फ प्रेरित नहीं करते, बल्कि हमें अपने शब्दों में उन्हें उतारने के लिए मजबूर कर देते हैं। रौनक खत्री ऐसा ही एक नाम है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) का अध्यक्ष बनना कोई आसान काम नहीं होता। आलोचनाओं के बीच खड़ा होना, अपने सिद्धांतों पर टिके रहना, और छात्रों की आवाज़ बनना — ये सब कुछ मैंने रौनक में देखा।
मैंने फैसला किया है कि मैं रौनक खत्री की जीवन यात्रा, उनके राजनीतिक सफर, संघर्षों, दोस्ती, और उनके दृष्टिकोण को एक किताब के रूप में सामने लाऊँगा।
यह किताब सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं होगी, बल्कि एक विचार की यात्रा होगी।
एक ऐसे युवा की आवाज़, जिसने भीड़ में रहकर भी खुद को अलग साबित किया।
क्यों लिख रहा हूँ ये किताब?
क्योंकि मैं चाहता हूँ कि लोग जानें कि किसी भी आंदोलन के पीछे कितना निजी संघर्ष छिपा होता है। मैं चाहता हूँ कि एक छात्र, एक युवा नेता, और एक इंसान के रूप में रौनक की सोच और संघर्ष सबके सामने आए।
यह किताब जल्द आ रही है…
इसमें होंगे वो किस्से जो आपने सुने नहीं, वो बातें जो मंच से नहीं कही गईं, और वो एहसास जो एक सच्चे नेता के दिल में चलते रहते हैं।
अगर आप जानना चाहते हैं कि आलोचना से आंदोलन तक का सफर कैसा होता है ,दुनिया के सबसे बड़े छात्रसंघ चुनाव में किस तरह से आप अपनी जगह बना सकते हैं — तो यह किताब आपके लिए होगी।
अगर आप भी चाहते हैं कि आपके भी विचार रौनक खत्री को लेकर उनकी पहली किताब में छपे तो आप कार्तिकेय को मेल कर सकते हैं। उनका पता है -
kartikeydiwakar48@dsj.du.ac.in
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