सिक्योरिटी या खूबसूरती. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को 'सोने' की चादर से क्यों ढका गया?

 चंद्रयान की तस्वीर को देखते हैं तो एक बात साफ नजर आती है कि यह सोने की पर्त से लिपटा हुआ है. पर सवाल यही है कि आखिर इस पर सोने जैसी पर्त क्यों चढ़ाई गई है. इसके पीछे भी विज्ञान छिपा है.

चंद्रयान पर दिखने वाली सुनहरी लेयर खास वजह से लगाई है. विज्ञान में कई ऐसी चीजों के बारे में बताया गया है जिसके आरपार एनर्जी और हीट न तो आ सकती है और न ही जा सकती है. इसे इंसुलेशन कहते हैं. पूरे चंद्रयान के लैंडर पर जिस तरह की सोने सी पर्त लिपटी है उसे मल्टी लेयर इंसुलेशन कहते हैं.

दरअसल, यह कई तरह पर्तों से मिलकर बनी होती है, इसलिए इसे मल्टी लेयर इंसुलेशन यानी MLI कहते हैं. यह क्या काम करेगी और कैसे करेगी, अब इसे भी समझ लेते हैं.


कितनी अलग होती है पर्त?

मल्टी लेयर इंसुलेशन की ज्यादातर पर्ते पॉलिस्टर की बनी हुई होती हैं. इसमें एल्युमिनियम का भी इस्तेमाल किया गया या है. इसमें कितनी लेयर होंगी और उनकी मोटाई कितनी होगी, यह कई बातों पर निर्भर होती है. जैसे- यह इस बात से तय होगा कि स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट किस तरह के ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. वहां का माहौल कैसा है. इस पर सूर्य की रोशनी किस तरह से पड़ेगी. तापमान कितना अधिक या कम है.

मिशन में कैसे मदद करेगी सोने सी दिखने वाली पर्त?

विक्रम लैंडर पर जो सुनहरी पर्त है वो एल्युमिनियम और पॉलिमाइड की है. इसका एल्युमिनियम वाला हिस्सा अंदर की तरफ है. अब समझते हैं कि यह सुनहरी पर्त आखिर विक्रम लैंडर की मदद कैसे करेगी.

आसान भाषा में समझें तो इसका काम है लैंडर पर तापमान का बुरा असर पड़ने से रोकना. दरअसल, अंतरिक्ष में बहुत कम और बहुत अधिक तापमान हो सकता है. जैसे- किसी ऑर्बिट में माइनस 200 फॉरेनहाइट और किसी में 300 डिग्री फॉरेनहाइट तक तापमान हो सकता है. इसका सीधा असर स्पेसक्राफ्ट, लैंडर या सैटेलाइट पर पड़ सकता है. इसलिए इसे खास तरह की पर्त यानी इंसुलेटर से ढका जाता है. ताकि तापमान का असर इसमें लगी डिवाइस या इक्विपमेंट पर न पड़े और यह सुरक्षित रहे.

जहां पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतरेगा करेगा, वहां सीधे तौर पर सूरज की किरणें इस पर पड़ेंगी. इन्हीं किरणों के जरिए लैंडर एनर्जी हासिल करते हुए वहां कई तरह के प्रयोग करेगा. इस दौरान सुनहरी पर्त के कारण सोने की किरणों को वापस रिफ्लेक्ट कर दिया जाएगा और इसका बुरा असर मिशन पर नहीं पड़ेगा. इसलिए यह सोने की पर्त लैंडर के लिए काफी अहम है.

यह भी हैं मल्टी लेयर इंसुलेशन के फायदे

इसका काम सिर्फ लैंडर के अंदर का तापमान ही मेंटेन नहीं करना है बल्कि जब यह चांद पर लैंड करेगा वो वहां उठने वाले धूल के गुबार से भी बचाएगा. नतीजा, सेंसर से लेकर इसके दूसरे उपकरण तक धूल-मिट्टी से खराब नहीं होंगे.

अंतरिक्ष में कई तरह के रेडिएशन होते हैं, लेकिन सोने की पर्त स्पेसक्राफ्ट को कई तरह के रेडिएशन से बचाती है. जैसे- अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन और एक्सरे. यही वजह है कि नासा अपने अंतरिक्षयात्रियों के लिए जो स्पेस सूट तैयार करता है उसमें भी ऐसी ही पर्तों का इस्तेमाल किया जाता है. इनकी ड्रेस में लगीं सोने की पर्तें अंतरिक्षयात्रियों को इंफ्रारेड रेडिएशन से बचाने का काम करती हैं.

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