मोदी सरकार का दिया हिसाब, भविष्य के दिखाए ​सपने, विकसित भारत की बुनियाद: 15 अगस्त पर लाल किले से 90 मिनट बोले PM, पढ़िए पूरा संबोधन

 भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 90 मिनट तक देश को संबोधित किया। इस दौरान अपने सरकार के कामकाज का हिसाब दिया। भविष्य के लक्ष्य तय किए। यह स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का चौथा सबसे लंबा संबोधन है।

भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 90 मिनट तक देश को संबोधित किया। इस दौरान अपने सरकार के कामकाज का हिसाब दिया। भविष्य के लक्ष्य तय किए। यह स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का चौथा सबसे लंबा संबोधन है। 2016 में उन्होंने सबसे ज्यादा 94 मिनट तक देश को संबोधित किया था। नीचे पढ़िए उनका पूरा संबोधन हूबहू उनके शब्दों में;

मेरे प्रिय 140 करोड़ परिवारजन,

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और अब बहुत लोगों का अभिप्राय है जनसंख्या की दृष्टि से भी हम विश्व में नंबर एक पर हैं। इतना बड़ा विशाल देश, 140 करोड़ का देश, ये मेरे भाई-बहन, मेरे परिवारजन आज आजादी का पर्व मना रहे हैं। मैं देश के कोटि-कोटि जनों को, देश और दुनिया में भारत को प्यार करने वाले, भारत का सम्मान करने वाले, भारत का गौरव करने वाले कोटि-कोटि जनों को आजादी के इस महान पवित्र पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ।

मेरे प्यारे परिवारजन,

पूज्य बापू के नेतृत्व में असहयोग का आंदोलन, सत्याग्रह की मूवमेंट और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनगिनत वीरों का बलिदान, उस पीढ़ी में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने देश की आजादी में अपना योगदान न दिया हो। मैं आज देश की आजादी की जंग में जिन-जिन ने योगदान दिया है, बलिदान दिए हैं, त्याग किया है, तपस्या की है, उन सबको आदरपूर्वक नमन करता हूँ। उनका अभिनंदन करता हूँ। आज 15 अगस्त महान क्रांतिकारी और अध्यात्म जीवन के रूचि तुल्य प्रणेता श्री अरविंदो की 150वीं जयंती पूर्ण हो रही है। ये वर्ष स्वामी दयानंद सरस्वती के 150वीं जयंती का वर्ष है। ये वर्ष रानी दुर्गावती के 500वीं जन्मशती का बहुत ही पवित्र अवसर है जो पूरा देश बड़े धूमधाम से मनाने वाला है। ये वर्ष मीराबाई भक्ति योग की सिरमौर मीराबाई के 525 वर्ष का भी ये पावन पर्व है। इस बार जब हम 26 जनवरी मनाएँगे वो हमारे गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगाँठ होगी। अनेक प्रकार से अनेक अवसर, अनेक संभावनाएँ राष्ट्र निर्माण में जुटे रहने के लिए पल-पल नई प्रेरणा, पल-पल नई चेतना, पल-पल सपने, पल-पल संकल्प, शायद इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता।

मेरे प्यारे परिवारजन,

इस बार प्राकृतिक आपदा ने देश के अनेक हिस्सों में अकल्पनीय संकट पैदा किए। जिन परिवारों ने इस संकट में सहन किया है मैं उन सभी परिवाजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ और राज्य-केंद्र सरकार मिल करके उन सभी संकटों से जल्दी‍ से मुक्त हो करके फिर तेज गति से आगे बढ़ेंगे ये विश्वास दिलाता हूँ।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

पिछले कुछ सप्ताह नार्थ-ईस्ट में विशेषकर मणिपुर में और हिन्दुस्तान के भी अन्य कुछ भागो में, लेकिन विशेषकर मणिपुर में जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, माँ-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ, लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं, देश मणिपुर के लोगों के साथ है। देश मणिपुर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाई रखी है, उस शांति के पर्व को आगे बढ़ाए और शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा। और राज्य और केंद्र सरकार मिलकर के उन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है, करती रहेगी।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

जब हम इतिहास की तरफ नजर करते हैं तो इतिहास में कुछ पल ऐसे आते हैं जो अपनी अमिट छाप छोडकर के जाते हैं और उसका प्रभाव सदियों तक रहता है। कभी-कभी शुरूआत में वो बहुत छोटा लगता है, छोटी सी घटना लगती है, लेकिन वो अनेक समस्याओं की जड़ बन जाती है। हमें याद है 1000-1200 साल पहले इस देश पर आक्रमण हुआ। एक छोटे से राज्य के छोटे से राजा का पराजय हुआ। लेकिन तब पता तक नहीं था कि एक घटना भारत को हजार साल की गुलामी में फँसा देगी। हम गुलामी में जकड़ते गए, जकड़ते गए, जकड़ते गए जो आया लूटता गया, जो जिसका मन चाहा हम पर आकर सवार हो गया। कैसा विपरीत काल रहा होगा, वो हजार साल का।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

घटना छोटी क्यों न हो, लेकिन हजार साल तक प्रभाव छोड़ती रही है। लेकिन मैं आज इस बात का जिक्र इसलिए करना चाहता हूँ कि भारत के वीरों ने इस कालखण्ड में कोई भू-भाग ऐसा नहीं था, कोई समय ऐसा नहीं था, जब उन्होंने देश की आजादी की लौ को जलता ना रखा हो, बलिदान की परंपरा न बनाई हो। माँ भारती बेड़ियों से मुक्त होने के लिए उठ खड़ी हुई थी, जंजीरों को झकझोर रही थी और देश की नारी शक्ति, देश की युवा शक्ति, देश के किसान, देश के गाँव के लोग, मजदूर कोई हिन्दुस्तानी ऐसा नहीं था, जो आजादी के सपने को लेकर के जीता न हो। आजादी को पाने के लिए मर-मिटने के लिए तैयार होने वालों की एक बड़ी फौज तैयार हो गई थी। जेलों में जवानी खपाने वाले अनेक महापुरूष हमारी देश की आजादी को, गुलामी के बेड़ियों को तोड़ने के लिए लगे हुए थे।

मेरे प्यारे प्रिय परिवारजनों,

जनचेतना का वो व्यापक रूप, त्याग और तपस्या का वो व्यापक रूप जन-जन के अंदर एक नए विश्वास जगाने वाला वो पल आखिकार 1947 में देश आजाद हुआ, हजार साल की गुलामी में संजोए हुए सपने देशवासियों ने पूरे करते हुए देखे।

साथियों,

मैं हजार साल पहले की बात इसलिए कह रहा हूँ, मैं देख रहा हूँ फिर एक बार देश के सामने एक मौका आया है, हम ऐसे कालखण्ड में जी रहे हैं, ऐसे कालखण्ड में हमने प्रवेश किया है और यह हमारा सौभाग्य है कि भारत के ऐसे अमृतकाल में, यह अमृतकाल का पहला वर्ष है या तो हम जवानी में जी रहे हैं या हम माँ भारती की गोद में जन्म ले चुके हैं। ये कालखण्ड मेरे शब्द लिखकर के रखिए मेरे प्यारे परिवारजनों इस कालखण्ड में जो हम करेंगे, जो कदम उठाएँगे, जितना त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, एक के बाद एक फैसले लेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्‍वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएँ आगामी एक हजार साल के लिए इसका प्रभाव पैदा करने वाली हैं।

गुलामी की मानसिकता से बाहर निकला हुआ देश पंचप्राण को समर्पित हो करके एक नए आत्‍मविश्‍वास के साथ आज आगे बढ़ रहा है। नए संकल्‍पों को सिद्ध करने के लिए वो जी-जान से जुड़ रहा है। मेरी भारत माता जो कभी ऊर्जा का सामर्थ्‍य था, लेकिन राख के ढेर में दबी पड़ी थी। वो भारत माँ 140 करोड़ देशवासियों के पुरुषार्थ से, उनकी चेतना से, उनकी ऊर्जा से फिर एक बार जागृत हो चुकी है। माँ भारती जागृत हो चुकी है और मैं साफ देख रहा हूँ दोस्‍तों, यही कालखंड है, पिछले 9-10 साल हमने अनुभव किया है। विश्‍व भर में भारत की चेतना के प्रति, भारत के सामर्थ्‍य के प्रति एक नया आकर्षण, नया विश्‍वास, नई आशा पैदा हुई है और ये प्रकाश पुंज जो भारत से उठा है वो विश्‍व को उसमें अपने लिए ज्‍योति नजर आ रही है। विश्‍व को एक नया विश्‍वास पैदा हो रहा है। हमारा सौभाग्‍य है कुछ ऐसी चीजें हमारे पास हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत में दी है और वर्तमान कालखंड ने गढ़ी है। आज हमारे पास डेमोग्राफी है, आज हमारे पास डेमोक्रेसी है, आज हमारे पास डाइवर्सिटी है। डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की ये त्रिवेणी भारत के हर सपने को साकार करने का सामर्थ्‍य रखती है। आज पूरे विश्‍व में देशों की उम्र ढल रही है, ढलाव पर है तो भारत यौवन की तरफ ऊर्जावान हो करके बढ़ रहा है। कितने बड़े गौरव का कालखंड है कि आज 30 साल की कम आयु की जनसंख्‍या दुनिया में सर्वाधिक कहीं है तो ये मेरे भारत माँ की गोद में है। ये मेरे देश में है और 30 साल से कम उम्र के नौजवान हों, मेरे देश के पास हो, कोटि-कोटि भुजाएँ हों, कोटि-कोटि मस्‍तिष्‍क हों, कोटि-कोटि सपने, कोटि-कोटि संकल्‍प हों तो भाइयों और बहनो, मेरे प्रिय परिवारजनों हम इच्‍छित परिणाम प्राप्‍त करके रह सकते हैं।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

देश का भाग्‍य ऐसी घटनाएँ बदल देती है। ये सामर्थ्‍य देश के भाग्‍य को बदल देता है। भारत 1 हजार साल की गुलामी और आने वाले 1 हजार साल के भव्‍य भारत के बीच में पड़ाव पर हम खड़े हैं। एक ऐसी संधि पर खड़े हैं और इसलिए अब हमें न रुकना है, न दुविधा में जीना है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

हमें खोई हुई उस विरासत का गर्व करते हुए, खोई हुई समृद्धि को प्राप्‍त करते हुए हमें फिर एक बार और ये बात मान कर चलें, हम जो भी करेंगे, हम जो भी कदम उठाएँगे, हम जो भी फैसला लेंगे वो अगले 1 हजार साल तक अपनी दिशा निर्धारित करने वाला है। भारत के भाग्‍य को लिखने वाला है, मैं आज मेरे देश के नौजवानों को, मेरे देश की बेटे-बेटियों को ये जरूर कहना चाहूँगा, जो सौभाग्‍य आज मेरे युवाओं को मिला है, ऐसा सौभाग्‍य, शायद ही किसी के नसीब होता है, जो आपके नसीब हुआ है।

इसलिए हमें ये गँवाना नहीं है। युवा शक्ति में मेरा भरोसा है, युवा शक्ति में सामर्थ्‍य है और हमारी नीतियां और हमारी रीतियाँ भी उस युवा सामर्थ्‍य को और बल देने के लिए है।

आज मेरे युवाओं ने दुनिया के पहले तीन स्टार्टअप इकोनॉमी सिस्‍टम में भारत को स्‍थान दिला दिया है। विश्‍व के युवाओं को अचम्‍भा हो रहा है। भारत के इस सामर्थ्‍य को लेकर के, भारत की इस ताकत को देखकर के। आज दुनिया टेक्‍नोलॉजी ड्रिवेन है और आने वाला युग टेक्‍नोलॉजी से प्रभावित रहने वाला है और तब टेक्‍नोलॉजी में भारत की जो टैलेंट है, उसकी एक नई भूमिका रहने वाली है।

साथियो,

मैं पिछले दिनों जी-20 समिट में बाली गया था और बाली में दुनिया के समृद्ध से समृद्ध देश, दुनिया के विकसित देश भी उनके मुखिया, मुझे भारत की डिजिटल इंडिया की सफलता के लिए, उसकी बारीकियों को जानने के लिए इच्‍छुक थे। हर कोई इसका सवाल पूछता था और जब मैं उनको कहता था कि भारत ने जो कमाल किया है ना वो दिल्‍ली, मुंबई, चेन्नई तक सीमित नहीं है, भारत जो कमाल कर रहा है, मेरे टियर-2, टियर-3 सिटी के युवा भी आज मेरे देश का भाग्‍य गढ़ रहे हैं। छोटे-छोटे स्‍थान के मेरे नौजवान, और मैं आज बड़े विश्‍वास से कहता हूँ कि देश का ये जो सामर्थ्‍य नया नजर आ रहा है, और इसलिए मैं कहता हूँ हमारे छोटे शहर आकार और आबादी में छोटे हो सकते हैं। ये हमारे छोटे-छोटे शहर, हमारे कस्‍बे आकार और आबादी में छोटे हो सकते हैं, लेकिन आशा और आकांक्षा, प्रयास और प्रभाव वो किसी से कम नहीं है, वो सामर्थ्‍य उनके अंदर है। नए एप, नए सोल्‍यूशन, टेक्‍नोलॉजी डिवाइस। अब खेलों की दुनिया देखिए, कौन बच्‍चे हैं, झुग्‍गी-झोपड़ी से निकले हुए बच्चे आज खेलों की दुनिया में पराक्रम दिखा रहे हैं। छोटे-छोटे गाँव, छोटे-छोटे कस्‍बे के नौजवान, हमारी बेटे-बेटियाँ आज कमाल दिखा रहे हैं। अब देखिए, मेरे देश की सौ स्‍कूल ऐसे हैं, जहाँ के बच्‍चे सेटेलाइट बना कर छोड़ने की तैयारियाँ कर रहे हैं। आज हजारों टिंकरिंग लैब नए वैज्ञानिकों का गर्भाधान कर रही है। आज हजारों टिंकरिंग लैब लाखों बच्‍चों को सांइस और टेक्‍नोलॉजी के राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दे रही है।

मैं मेरे देश के नौजवानों को कहना चाहता हूँ कि अवसरों की कमी नहीं है, आप जितने अवसर चाहेंगे, ये देश आसमान से भी ज्‍यादा अवसर आपको देने का सामर्थ्‍य रखता है।

मैं आज लाल किले की प्राचीर से मेरे देश की माताओं, बहनों, मेरे देश की बेटियों का ह्दय से अभिनंदन करता चाहता हूँ। देश आज जहाँ पहुँचा है, उसमें विशेष शक्ति जुड़ रही है, मेरी माताओं, बहनों के सामर्थ्‍य की। आज देश प्रगति की राह पर चल पड़ा है तो मैं मेरे किसान भाई-बहनों का भी अभिनंदन करना चाहता हूँ। ये आप ही का पुरुषार्थ है, ये आप ही का परिश्रम है कि देश आज कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं मेरे देश के मजदूरों का, मेरे श्रमिकों का, मेरे प्रिय परिवारजन ऐसे कोटि-कोटि समूहों को आज मैं नमन करता हूँ। उनका अभिनंदन कर रहा हूँ। देश आज जो आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, विश्‍व की तुलना करने वाले सामर्थ्‍य के साथ नजर आ रहा है, उसके पीछे मेरे देश के मजदूरों का, मेरे देश के श्रमिकों का बहुत बड़ा योगदान है। आज समय कहता है कि लालकिले की प्राचीर से मैं उनका अभिनंदन करूँ। उनका अभिवादन करूँ और यह मेरे परिवारजन, 140 करोड़ देशवासी मेरे इन श्रमिकों, रेहड़ी-पटरी वालों का, फूल-सब्‍जी बेचने वालों का हम सम्‍मान करते हैं। मेरे देश को आगे बढ़ाने में, मेरे देश को प्रगति की नई ऊँचाई पर ले जाने में प्रोफेशनल्स की बहुत बड़ी भूमिका बढ़ती रही है। चाहे साइंटिस्‍ट हो, चाहे इंजीनियर्स हो, डॉक्‍टर्स हो, नर्सेस हो, शिक्षक हो, आचार्य हो, यूनिवर्सिटीज हो हो, गुरुकुल हो, हर कोई माँ भारती का भविष्‍य उज्ज्वल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से लगा हुआ है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

राष्‍ट्रीय चेतना वो एक ऐसा शब्‍द है जो हमें चिंताओं से मुक्‍त कर रहा है। और आज वो राष्‍ट्रीय चेतना यह सिद्ध कर रही है कि भारत का सबसे बड़ा सामर्थ्‍य बना है भरोसा, भारत का सबसे बड़ा सामर्थ्‍य बना है विश्‍वास, जन-जन में हमारा विश्‍वास, जन-जन का सरकार पर विश्‍वास, जन-जन का देश के उज्ज्वल भविष्‍य पर विश्‍वास और विश्‍व का भी भारत के प्रति विश्‍वास। यह विश्‍वास हमारी नीतियों का है, हमारी रीति का है। भारत के उज्ज्वल भविष्‍य को जिस निर्धारित मजबूत कदमों से हम आगे बढ़ा रहे हैं उसका है।

भाइयो और बहनो,

मेरे प्‍यारे परिवारजनों, यह बात निश्चित है कि भारत का सामर्थ्‍य और भारत की सम्भावनाएँ विश्‍वास की नई बुलंदियों को पार करने वाली है और यह विश्‍वास की नई बुलंदियाँ नए सामर्थ्‍य को ले करके चलनी चाहिए। आज देश में जी-20 समिट की मेहमाननवाजी का भारत को अवसर मिला है। पिछले एक साल से हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में जिस प्रकार से जी-20 के अनेक ऐसे आयोजन हुए हैं, अनेक कार्यक्रम हुए हैं, उसने देश के सामान्‍य मानवी के सामर्थ्‍य को विश्‍व को परिचित करा दिया है। भारत की विविधता का परिचय कराया है। भारत की डायवर्सिटी को दुनिया अचम्भे से देख रही है और उसके कारण भारत के करीब आकर्षण बढ़ा है। भारत को जानने की, समझने की इच्छा जगी है। उसी प्रकार से आप देखिए, एक्‍सपोर्ट, आज भारत का एक्‍सपोर्ट तेजी से बढ़ रहा है और मैं कहना चाहता हूँ दुनिया के एक्सपर्टस इन सारे मानदंडों के आधार पर कह रहे हैं कि अब भारत रूकने वाला नहीं है। दुनिया की कोई भी रेटिंग एजेंसी होगी वो भारत का गौरव कर रही है। कोरोना काल के बाद दुनिया एक नए सिरे से सोचने लगी है। मैं विश्‍वास से देख रहा हूँ कि जिस प्रकार से द्वितीय महायुद्ध के बाद, द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद दुनिया में एक नया वर्ल्ड ऑर्डर ने आकार लिया था, मैं साफ-साफ देख रहा हूँ कि कोरोना के बाद एक नया विश्‍व ऑर्डर, एक नया ग्‍लोबल ऑर्डर, एक नया जियो पॉलिटिकल इक्‍वेशन यह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जियो पॉलिटिकल इक्‍वेशन की सारी व्‍याख्‍याएँ बदल रही हैं, परिभाषाएँ बदल रही हैं। मेरे प्‍यारे परिवाजनों, आप गौरव करेंगे बदलते हुए विश्‍व को शेप देने में आज मेरे 140 करोड़ देशवासियों आपका सामर्थ्‍य नजर आ रहा है। आप निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं।

कोरोना काल में भारत ने जिस प्रकार से देश को आगे बढ़ाया हे, दुनिया ने हमारे सामर्थ्‍य को देखा है। जब दुनिया की सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई थी, बड़ी-बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव था, उस समय भी हमने कहा था हमें विश्‍व का विकास देखना है, तो वो मानव केंद्रित होना चाहिए, मानवीय संवेदनाओं से भरा हुआ होना चाहिए, और तब जा करके समस्‍याओं का सही समाधान निकालेंगे और कोविड ने हमें सिखाया है या हमें मजबूर किया है, लेकिन मानवीय संवेदनाओं को छोड़ कर हम विश्‍व का कल्‍याण नहीं कर सकते।

आज भारत ग्‍लोबल साउथ की आवाज बन रहा है। भारत की समृद्धि, विरासत आज दुनिया के लिए एक अवसर बन रही है। ग्‍लोबल इकोनॉमी, ग्‍लोबल सप्लाई चेन में भारत की हिस्‍सेदारी, मैं पक्के विश्‍वास से कहता हूँ, आज जो भारत में परिस्थिति पैदा हुई है, आज जो भारत ने कमाया है, वो दुनिया में स्थिरता की गारंटी ले करके आया है दोस्तों। अब न हमारे मन में, न 140 करोड़ मेरे परिवारजनों के मन में और न ही दुनिया के मन में कोई ifs हैं कोई buts हैं, विश्‍वास बन चुका है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

अब गेंद हमारे पाले में है, हमें अवसर जाने नहीं देना चाहिए, हमें मौका छोड़ना नहीं चाहिए। भारत में मैं मेरे देशवासियों का इसलिए भी अभिनंदन करता हूँ कि मेरे देशवासियों में एक नीर-क्षीर विवेक का सामर्थ्‍य है, समस्‍याओं की जड़ों को समझने का सामर्थ्‍य है और इसलिए 2014 में मेरे देशवासियों ने 30 साल के अनुभव के बाद तय किया कि देश को आगे ले जाना है तो स्थिर सरकार चाहिए, मजबूत सरकार चाहिए, पूर्ण बहुमत वाली सरकार चाहिए, और देशवासियों ने एक मजबूत और स्थिर सरकार बनाई है। तीन दशकों तक जो अनिश्चिता का काल था, जो अस्थिरता का कालखंड था, जो राजनीतिक मजबूरियों से देश जकड़ा हुआ था, उससे मुक्ति मिली।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

देश के पास आज ऐसी सरकार है, वो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय देश के संतुलित विकास के लिए समय का पल-पल और जनता की पाई-पाई जनता की भलाई के लिए लगा रही है और मेरी सरकार, मेरे देशवासियों का मान एक बात से जुड़ा हुआ है, हमारे हर निर्णय, हमारी हर दिशा, उसका एक ही मानदंड है Nation First, राष्‍ट्र प्रथम और राष्‍ट्र प्रथम यही दूरगामी परिणाम, सकारात्‍मक परिणाम पैदा करने वाला है। देश में बड़े स्‍तर पर काम हो रहा है। लेकिन मैं कहना चाहूँगा 2014 में आपने एक मजबूत सरकार बनाई और मैं कहता हूँ 2014 में और 2019 में आपने एक सरकार फॉर्म की तो मोदी में रिफॉर्म करने की हिम्‍मत आई। आपने ऐसी सरकार फॉर्म की कि मोदी को रिफॉर्म करने की हिम्‍मत आई। और जब मोदी ने एक के बाद एक रिफॉर्म किए तो मेरे ब्‍यूरोक्रेसी के लोग, मेरे लाखों हाथ-पैर, जो हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में सरकार के हिस्‍से के रूप में काम कर रहे हैं, उन्‍होंने ब्‍यूरोक्रेसी ने ट्रांसफॉर्म करने के लिए परफॉर्म करने की जिम्‍मेदारी बखूबी निभाई और उन्‍होंने परफॉर्म करके दिखाया और जनता-जनार्दन जुड़ गई तो वो परफॉर्म होता भी नजर आ रहा है। और इसलिए रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म ये कालखंड अब भारत के भविष्‍य को गढ़ रहा है। हमारी सोच देश की उस ताकतों को बढ़ावा देने पर है, जो आने वाले एक हजार साल की नींव को मजबूत करने वाले हैं। दुनिया को युवा शक्ति की जरूरत है, युवा स्किल की जरूरत है। हमने अलग स्किल मिनिस्‍ट्री बनाई, वो भारत की आवश्‍यकताओं को तो पूरा करेगी, वो दुनिया की आवश्‍यकताओं को भी पूर्ण करने का भी सामर्थ्‍य रखेगी। हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया। मंत्रालय की बनाने की रचना को भी अगर वो एनालिसिस करेगा ना तो इस सरकार के मन-मस्तिष्क को बड़े अच्छे ढंग से आप समझ पाएँगे। हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया ये जल शक्ति मंत्रालय हमारा, हमारे देश के एक-एक देशवासियों को पीने का शुद्ध पानी पहुँचे, पर्यावरण की रक्षा के लिए पानी के प्रति संवदेनशील व्यवस्थाएँ विकसित हो उस पर हम बल दे रहे हैं। हमारे देश में कोरोना के बाद दुनिया देख रही है holistic health care ये समय की माँग है। हमने अलग आयुष मंत्रालय बनाया और योग और आयुष आज दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं।

हमारे कमिटमेंट के कारण विश्व का हमारे प्रति ध्यान गया है। अगर हम ही हमारे इस सामर्थ्य को नकार देंगे तो फिर दुनिया कैसे स्वीकर करेगी। लेकिन जब मंत्रालय बना तो दुनिया को भी उसका मूल्य समझ में आया। मत्स्य पालन हमारा इतना बड़ा समुद्री तट, हमारे कोटि-कोटि मछुआरे भाई-बहन उनका कल्याण भी हमारे दिलों में है और इसलिए हमने अलग से मत्स्य पालन को लेकर के, पशुपालन को लेकर के, डेयरी को लेकर के अलग मंत्रालय की रचना की ताकि समाज के जिस वर्ग के लोग पीछे रह गए उनको हम साथ दे। देश में सरकारी अर्थव्यवस्था के हिस्से होते हैं लेकिन समाज की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है कॉपरेटिव मूवमेंट उसको बल देने के लिए, उसमें आधुनिकता लाने के लिए और देश के कोने-कोने में लोकतंत्र की एक सबसे बड़ी इकाई को मजबूत करने के लिए हमने अलग कॉपरेटिव मंत्रालय बनाया और वो हमारी सहकारी संस्थाएँ उसका जाल बिछा रहा है ताकि गरीब से गरीब की वहाँ सुनवाई हो, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो और वो भी राष्ट्र के विकास के योगदान में एक छोटी इकाई का हिस्सा बनकर के उसमें वो योगदान दे सके। हमने सहकार से समृद्धि का रास्ता अपनाया है।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

जब हम 2014 में आए थे, तो हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर थे और आज 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ रंग लाया है कि हम विश्व की अर्थव्यवस्था में 5वें नंबर पर पहुँच चुके हैं। ये ऐसे ही नहीं हुआ है जब भ्रष्टाचार का राक्षस देश को दबोचे हुए थे, लाखों-करोड़ के घोटाले अर्थव्यवस्था को डंवाडोल कर रहे थे, governance, fragile फाइल में देश की पहचान होने लगी थी। Leakages को हमने बंद किया, मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई, हमने गरीब कल्याण के लिए ज्यादा से ज्यादा धन खर्च करने का प्रयास किया। आज मैं देशवासियों को बताना चाहता हूँ कि जब देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता है तो सिर्फ तिजोरी नहीं भरती है, देश का सामर्थ्य बढ़ता है, देशवासियों का सामर्थ्य बढ़ता है और तिजोरी का पाई-पाई अगर ईमानदारी से जनता-जनार्दन के लिए खर्च करने का संकल्प लेने वाली सरकार हो तो परिणाम कैसा आता है। मैं 10 साल का हिसाब तिरंगे की साक्षी में लाल किले की प्राचीर से मेरे देशवासियों को दे रहा हूँ। आँकड़े देखकर आपको लगेगा इतना बड़ा बदलाव, इतना बड़ा सामर्थ्य। 10 साल पहले राज्यों को 30 लाख करोड़ रुपए भारत सरकार की तरफ से जाते थे। पिछले 9 साल में ये आँकड़ा 100 लाख करोड़ पर पहुँचा है।

पहले स्थानीय निकाय के विकास के लिए भारत सरकार के खजाने से 70 हजार करोड़ रुपया जाता था, आज वो 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा जा रहा है। पहले गरीबों के घर बनाने के लिए 90 हजार करोड़ रुपया खर्च होता था, आज वो 4 गुना होकर 4 लाख करोड़ से भी ज्यादा खर्च गरीबों के घर बनाने के लिए हो रहा है। पहले गरीबों को यूरिया सस्ता मिले। जो यूरिया के बैग दुनिया के कुछ बाजारों में 3 हजार में बिकते हैं, वो यूरिया का बैग मेरे किसानों को 300 में मिले और इसलिए देश की सरकार 10 लाख करोड़ रुपया मेरे किसानों को यूरिया में सब्‍सिडी दे रहा है। मुद्रा योजना 20 लाख करोड़ रुपए उससे भी ज्‍यादा मेरे देश के नौजवानों को स्‍वरोजगार के लिए, अपने व्‍यवसाय के लिए, अपने कारोबार के लिए दिए हैं। 8 करोड़ लोगों ने नया कारोबार शुरू किया है और 8 करोड़ लोगों ने कारोबार शुरू किया है, ऐसा नहीं, हर कारोबारी ने एक या दो, लोगों को रोजगार दिया है। 8-10 करोड़ नए लोगों को रोजगार देने का सामर्थ्‍य ये मुद्रा योजना से लाभ लेने वाले 8 करोड़ नागरिकों ने किया है। MSMEs को करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए की मदद से कोरोना के संकट में भी उनको डूबने नहीं दिया, मरने नहीं दिया, उनको एक ताकत दी है। वन रैंक वन पेंशन, मेरे देश के सेना के जवानों का एक सम्‍मान का विषय था, 70 हजार करोड़ रुपया भारत की तिजोरी से आज पहुँचा है। मेरे निवृत्त सेना के नायकों से जेब में उनका परिवार में पहुँचा है। सभी कैटेगरी में मैंने तो कुछ ही गिनाएँ हैं, मैं ज्‍यादा समय लेना नहीं चाहता हूँ। हर कैटेगरी में पहले की तुलना में अनेक गुना धन देश के विकास के लिए कोने-कोने में रोजगार पैदा करने के‍ लिए, पाई-पाई का उपयोग भारत का भाग्‍य बदलने के लिए हो और इसलिए हमने काम किया है।

और मेरे प्‍यारे प्रियजनों,

इतना ही नहीं, हमने इन सारे प्रयासों का परिणाम है कि आज 5 साल के मेरे एक कार्यकाल में, 5 साल में साढ़े 13 करोड़ मेरे गरीब भाई-बहन गरीबी की जंजीरों को तोड़ करके न्‍यू मिडिल क्‍लास के रूप में बाहर आए हैं। जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं हो सकता।

मेरे प्‍यारे प्रिय परिवारजनों,

जब साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी की इस मुसीबतों से बाहर निकलते हैं तो कैसी-कैसी योजनाओं ने उन्‍हें मदद दी है, उनको आवास योजना का लाभ मिलना, पीएम स्‍वनिधि से 50 हजार करोड़ रुपए रेहड़ी-पटरी वालों तक पहुँचाया है। आने वाले दिनो में, आने वाली विश्‍वकर्मा जयन्‍ती पर एक कार्यक्रम हम आगे लागू करेंगे, इस विश्‍वकर्मा जयन्‍ती पर हम करीब 13-15 हजार करोड़ रुपया से जो परम्‍परागत कौशल्‍य से रहने वाले लोग, जो औजार से और अपने हाथ से काम करने वाला वर्ग है, ज्‍यादातर ओबीसी समुदाय से है। हमारे सुथार हों, हमारे सुनार हों, हमारे राजमिस्‍त्री हों, हमारे कपड़े धोने वाले काम करने वाले लोग हों, हमारे बाल काटने वाले भाई-बहन परिवार हों, ऐसे लोगों को एक नई ताकत देने के लिए हम आने वाले महीने में विश्‍वकर्मा जयन्‍ती पर विश्‍वकर्मा योजना लॉन्‍च करेंगे और करीब 13-15 हजार करोड़ रुपए से उसका प्रारंभ करेंगे। हमने पीएम किसान सम्‍मान निधि में ढाई लाख करोड़ रुपया सीधा मेरे देश के किसानों के खाते में जमा किया है। हमने जल जीवन मिशन हर घर में शुद्ध पानी पहुँचे, दो लाख करोड़ रुपया खर्च किया है। हमने आयुष्‍मान भारत योजना ताकि गरीब को बीमारी के कारण अस्‍पताल जाने से जो मुसीबत होती थी, उससे मुक्‍ति दिलाना। उसको दवाई मिले, उसका उपचार हो, ऑपरेशन हो अच्‍छे से अच्‍छे हॉस्पिटल में हो, आयुष्‍मान भारत योजना के तहत 70 हजार करोड़ रुपए हमने लगाए हैं। पशुधन देश ने कोरोना वैक्‍सीन की बात तो देश को याद है, 40 हजार करोड़ रुपए लगाए, वो तो याद है लेकिन आपको जानकर के खुशी होगी हमने पशुधन को बचाने के लिए करीब–करीब 15 हजार करोड़ रुपया पशुधन के टीकाकरण के लिए लगाया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, मेरे प्यारे परिवारजनों,

जन औषधि केंद्रों ने, देश के सीनियर सीटिजंस को, देश के मध्यम वर्गीय परिवार को एक नई ताकत दी है। जिस संयुक्‍त परिवार में अगर किसी को एक डायबिटिज जैसा हो जाए 2-3 हजार का बिल स्‍वाभाविक हो जाता है। हमने जन-औषधि केंद्र से जो दवाई बाजार में सौ रुपए में मिलती है वो 10 रुपया, 15 रुपया, 20 में दी। आज देश के 10000 जन-औषधि केंद्रों से इन बीमारी में जिनको दवाई की जरूरत थी, ऐसे लोगों के करीब 20 करोड़ रुपया उनके जेब में बचा है। ये ज्‍यादातर मध्‍यम वर्गीय परिवार के लोग हैं। आज उसकी सफलता को देखते हुए मैं देशवासियों को कहना चाहता हूँ जैसे हम एक विश्‍वकर्मा योजना लेकर समाज के उस वर्ग को छूने वाले हैं, अब देश में 10 हजार जन-औषधि केंद्र से हम 25 हजार जन-औषधि केंद्र का लक्ष्‍य लेकर के आने वाले दिनों में काम करने वाले हैं।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

जब देश में गरीबी कम होती है तब देश के मध्‍यम वर्गीय वर्ग की ताकत बहुत बढ़ती है। और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूँ आने वाले 5 साल में मोदी की गारंटी है, देश पहले तीन वैश्विक इकोनॉमी में अपनी जगह ले लेगा, ये पक्‍का जगह ले लेगा। आज जो साढ़े 13 करोड़ गरीबी से बाहर आए हुए लोग हैं वो एक प्रकार से मध्‍यम वर्गीय ताकत बन जाते हैं। जब गरीब की खरीद शक्ति बढ़ती है तो मध्‍यम वर्ग की व्‍यापार शक्ति बढ़ती है। जब गाँव की खरीद शक्ति बढ़ती है, तो कस्‍बे और शहर की आर्थिक व्‍यवस्‍था और तेज गति से दौड़ती है। और यही इंटर कनेक्‍टेड हमारा अर्थ चक्र होता है। हम उसको बल देकर के आगे चलना चाहते हैं।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

शहर के अंदर जो कमजोर लोग रहते हैं, बिना बात की जो मुसीबत रहती है। मध्‍यम वर्गीय परिवार अपने खुद के घर का सपना देख रहे हैं। हम उसके लिए भी आने वाले कुछ सालों के लिए एक योजना लेकर के आ रहे हैं और जिसमें ऐसे मेरे परिवारजन जो शहरों में रहते हैं, लेकिन किराए के मकान पर रहते हैं, झुग्‍गी-झोपड़ी में रहते हैं, चाल में रहते हैं, अनाधिकृत कॉलोनी में रहते हैं। ऐसे मेरे परिवानजन अगर अपना मकान बनाना चाहते हैं तो बैंक से जो लोन मिलेगा उसके ब्‍याज के अंदर राहत देकर के लाखों रुपयों की मदद करने का हमने निर्णय किया है। मेरे मध्‍यम वर्गीय परिवार को दो लाख से 7 लाख इनकम टैक्‍स की सीमा बढ़ जाती है तो सबसे बड़ा लाभ सैलरी क्‍लास को होता है, मेरे मध्‍यम वर्गीय को होता है। इंटरनेट का डाटा बहुत महँगा था 2014 के पहले। अब दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट का डेटा पर खर्चा हो रहा है, हर परिवार के पैसे बच रहे हैं।

मेरे प्यारे परिवारजनों

विश्‍व कोरोना के बाद अभी तक उभर नहीं पाया है, युद्ध ने फिर एक नई मुसीबत पैदा की है। आज दुनिया महँगाई के संकट से जूझ रही है। पूरी दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था को महँगाई ने दबोच कर रखा है। हम भी दुनिया से जिन सामान की जरूरत होती है लाते हैं तो हमें सामान तो इम्‍पोर्ट करते हैं, हमारा दुर्भाग्‍य है कि हमें महँगाई भी इम्‍पोर्ट करनी पड़ती है। तो इस पूरी दुनिया को महँगाई ने जकड़ कर रखा है।

लेकिन मेरे प्यारे प्रिय परिवारजनों

भारत ने महँगाई को नियंत्रित रखने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। पिछले कालखंड की तुलना में हमें कुछ सफलता भी मिली है लेकिन इतने से संतोष नहीं मान नहीं सकते। दुनिया से हमारी चीजें अच्‍छी हैं, इतनी बात से हम सोच नहीं सकते, मुझे तो मेरे देशवासियों को महँगाई का बोझ कम से कम हो इस दिशा में और भी कदम उठाने हैं। हम उस कदम को उठा कर रहेंगे। मेरा प्रयास निरंतर जारी रहेगा।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

आज देश अनेक क्षमताओं को लेकर आगे बढ़ रहा है। देश आधुनिकता की तरफ आगे बढ़ने के लिए काम कर रहा है। आज देश रिन्यूबल एनर्जी में काम कर रहा है, आज देश ग्रीन हाइड्रोजन पर काम हो रहा है, देश की स्पेस में क्षमता बढ़ रही है। देश डीप सी मिशन में भी सफलता के साथ आगे चल रहा है। देश में रेल आधुनिक हो रही है, तो वंदे भारत बुलेट ट्रेन भी आज देश के अंदर काम कर रही है। गाँव-गाँव पक्की सड़कें बन रही है तो इलेक्ट्रिक बसें, मेट्रो की रचना भी आज देश में हो रहे हैं। आज गाँव-गाँव तक इंटरनेट पहुँच रहा है तो क्वांटम कंप्यूटर के लिए भी देश काम करता है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पर काम हो रहा है तो दूसरी तरफ जैविक खेती पर भी हम बल दे रहे हैं। आज किसान उत्पादक संघ FPO का निर्माण हो रहा है तो हम सेमीकंडक्टर का भी निर्माण करना चाह रहे हैं। हम दिव्‍यांगजनों के लिए एक सुगम भारत के निर्माण के लिए काम करते हैं तो हम पैरालिंपिक में भी हिन्‍दुस्‍तान का तिरंगा झंडा गाड़ने के लिए मेरे दिव्‍यांगजनों को सामर्थ्‍यवान बना रहे हैं। हम खिलाडि़यों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहे हैं।

आज भारत पुरानी सोच, पुराने ढर्रे को छोड़ करके लक्ष्‍यों को तय कर, लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की नजर से चल रहा है। जब मैं कहता हूँ कि जिसका शिलान्यास हमारी सरकार करती है उसके उद्घाटन भी हमारे कालखंड में करते हैं। इन दिनों जो मैं शिलान्‍यास कर रहा हूँ न आप लिख करके रखिए उसके उद्घाटन भी आप सबने मेरे नसीब में ही छोड़े हुए हैं। हमारी कार्य संस्कृति, बड़ा सोचना, दूर का सोचना, सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय सोचना यह हमारी कार्यशैली रही है। सोच से भी ज्‍यादा, संकल्‍प से भी ज्‍यादा हासिल कैसे करना इस ऊर्जा के साथ हम काम करते हैं। हमने आजादी के अमृत महोत्‍सव में 75 हजार अमृत सरोवर बनाने का संकल्‍प किया था। उस समय हमने हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्‍प किया था। करीब 50-55 हजार अमृत सरोवर की कल्‍पना की थी। लेकिन आज करीब-करीब 75 हजार अमृत सरोवर के निर्माण का काम हो रहा है। यह अपने आप में बहुत बड़ा काम हो रहा है। जनशक्ति और जलशक्ति की यह ताकत भारत के पर्यावरण की रक्षा में भी काम आने वाली है। 18 हजार गाँवों तक बिजली पहुँचाना, जन धन बैंक खाते खोलना, बेटियों के लिए शौचालय बनाना सारे टारगेट समय के पहले पूरी शक्ति से पूरे करेगा। जब भारत ठान लेता है तो उसे पूरा करके रहता है, यह हमारा ट्रैक रिकॉर्ड कहता है।

200 करोड़ वैक्सीनेशन का काम। दुनिया जब हमें पूछती है न, 200 करोड़ सुनती है उनकी आँखें फट जाती है, इतना बड़ा काम। यह मेरे देश के आंगनबाड़ी वर्कर, हमारी आशा वर्कर, हमारी हेल्‍थ वर्कर उन्‍होंने करके दिखाया। यह मेरे देश का सामर्थ्‍य है। 5-G को रोल आउट किया, दुनिया में सबसे तेज गति से 5-G रोल आउट करने वाला मेरा देश है। 700 से अधिक जिलों तक हम पहुँच चुके हैं। और अब 6-G की भी तैयारी कर रहे हैं। हमने टास्‍क फोर्स बना दिया है। रिन्यूबल एनर्जी हम टारगेट से पहले चले हैं। हमने रिन्यूबल एनर्जी 2030 का जो टारगेट तय किया था, 2021-2022 में उसका पूरा कर दिया। हमने इथेनॉल में 20 पर्सेंट ब्‍लेंडिंग की बात कही थी वो भी हमने समय से 5 साल पहले पूरा कर दिया है। हमने 500 बिलियन डॉलर के एक्‍सपोर्ट की बात कही थी वो भी समय से पहले 500 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा कर दिया। हमने तय किया, जो हमारे देश में 25 साल से चर्चा हो रही थी कि देश में नई संसद बने। पार्लियामेंट का कोई सत्र ऐसा नहीं था, नई संसद के लिए, यह मोदी है समय के पहले नई संसद बना कर रख दिया मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों। यह काम करने वाली सरकार है, निर्धारित लक्ष्‍यों को पार करने वाली सरकार है, यह नया भारत है, यह आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ भारत है, यह संकल्‍पों को चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भारत है। इसलिए यह भारत न रुकता है, यह भारत न थकता है, यह भारत न हाँफता है और न ही ये भारत हारता है। और इसलिए मेरे प्‍यारे परिवारजनों, आर्थिक शक्ति भरी है, तो हमारी सामरिक शक्ति को नई ताकत मिली है, हमारी सीमाएँ पहले से अधिक सुरक्षित हुई है और मेरे सीमा पर बैठे हुए जवान, मेरे जवान जो देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और मेरे देश की आंतरिक सुरक्षा सँभालने वाले यूनिफॉर्म फोर्सेस, मैं आजादी के इस पावन पर्व पर उनको भी अनेक-अनेक बधाई देते हुए मेरी बात को आगे बढ़ाता हूँ। सेना का अधिकरण हो, हमारी सेना युवा बने, हमारी सेना बैटल के लिए रेडी, युद्ध योग्‍य बने, इसलिए निरंतर रिफॉर्म का काम आज हमारी सेना में हो रहा है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

आए दिन हम लोग सुना करते थे, यहां बम धमाका हुआ, वहाँ बम धमाका हुआ। हर जगह पर लिखा हुआ रहता था कि इस बैग को मत छूना, एनाउसमेंट होते रहते थे। आज देश सुरक्षा की अनुभूति कर रहा है और जब सुरक्षा होती है, शांति होती है तो प्रगति के नए अरमान हम पूरे कर सकते हैं। उसके लिए सीरियल बम धमाके का जमाना बीती हुई बात हो गई है। निर्दोषों की जो मौत होती थी, वो बीते हुए कल की बात हो गई है। आज देश में आतंकी हमलों में भारी कमी आई है। नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है, बहुत बड़ा परिवर्तन का एक वातावरण बना है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

प्रगति की हर चीज में, लेकिन जब 2047, हम एक विकसित भारत का सपना ले करके चल रहे हैं तब, और वो सपना नहीं, 140 करोड़ देशवासियों का संकल्‍प है। और उस संकल्‍प को सिद्ध करने के लिए परिश्रम की पराकाष्‍ठा भी है और उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है, वो राष्‍ट्रीय चरित्र होता है। दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है, दुनिया में जो-जो देश संकटों को पार करके निकले हैं, उनमें हर चीज के साथ-साथ एक महत्‍वपूर्ण कैटेलिक एजेंट रहा है, वो राष्‍ट्रीय चरित्र रहा है। हमें राष्‍ट्रीय चरित्र के लिए और बल देते हुए हमें आगे बढ़ना होगा। हमारा देश, हमारा राष्‍ट्रीय चरित्र ओजस्‍वी हो, तेजस्‍वी हो, पुरुषार्थी हो, पराक्रमी हो, प्रखर हो; ये हम सबका सामूहिक दायित्‍व है। आने वाले 25 साल हम एक ही मंत्र को लेकर चलें, ये हमारे राष्‍ट्रीय चरित्र का सिरमौर होना चाहिए। एकता का संदेश, भारत की एकता को जीना, भारत की एकता को आँच आए, न ऐसी मेरी भाषा होगी, न ऐसा मेरा कोई कदम होगा। हर पल देश को जोड़ने का प्रयास मेरी तरफ से भी होता रहेगा। भारत की एकता हमें सामर्थ्‍य देती है। उत्‍तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो, पश्चिम हो, गाँव हो, शहर हो, पुरुष हो, नारी हो; हम सबने एकता के भाव के साथ और विविधता भरे देश में एकता का सामर्थ्‍य होता है। दूसरी महत्‍व की बात मैं देख रहा हूँ, अगर 2047 में हमें हमारे देश को विकसि‍त भारत के रूप में देखना है तो हमें श्रेष्‍ठ भारत के मंत्र को जीना होगा, हमें चरित्रार्थ करना होगा।

अब हमारे प्रोडक्‍शन में, मैंने 2014 में कहा था जीरो डिफेक्‍ट, जीरो इफेक्‍ट। दुनिया के किसी भी टेबल पर मेक इन इंडिया चीज हो तो दुनिया को विश्‍वास होना चाहिए, इससे बेहतर दुनिया में कुछ नहीं हो सकता है। ये अल्‍टीमेट होगा, हमारी हर चीज, हमारी सर्विसेज होंगी तो श्रेष्‍ठ होंगी, हमारे शब्‍दों की ताकत होगी तो श्रेष्‍ठ होंगी, हमारी संस्‍थाएँ होंगी तो श्रेष्‍ठ होंगी, हमारी निर्णय प्रक्रियाएँ होंगी तो श्रेष्‍ठ होंगी। ये श्रेष्‍ठता का भाव ले करके हमें चलना होगा। तीसरी बात है देश में आगे बढ़ने के लिए एक अतिरिक्‍त शक्ति का सामर्थ्‍य भारत को आगे ले जाने वाला है और वो है women-led development। आज भारत गर्व से कह सकता है कि दुनिया में नागरिक उड्डयन में अगर किसी एक देश में सबसे ज्‍यादा महिला पायलट हैं तो मेरे देश में हैं। आज चन्‍द्रयान की गति हो, मून मिशन की बात हो, मेरी महिला वैज्ञानिक उसका नेतृत्‍व कर रही हैं। आज महिला स्वयं सहायता समूह हो, मेरी 2 करोड़ लखपति दीदी का लक्ष्य लेकर के आज महिला स्वयं सहायता समूह पर हम काम कर रहे हैं। हम, हमारी नारी शक्ति के सामर्थ्य को बढ़ावा देते हुए women-led development और जब जी-20 में मैंने women led development के विषयों को आगे बढ़ाया है तो पूरा जी-20 समूह इसके महत्व का स्वीकार कर रहा है और उसके महत्व को स्वीकर कर करके वो उसको बहुत बल दे रहे हैं। उसी प्रकार से भारत विविधताओं से भरा देश है। असंतुलित विकास के हम शिकार रहे हैं, मेरा-पराया के कारण हमारे देश के कुछ हिस्से उसके शिकार रहे हैं। अब हमें क्षेत्रीय आकांक्षाओं को संतुलित विकास को बल देना है और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को लेकर के उस भावना को हमें सम्मान देते हुए जैसे हमारी भारत माँ का कोई, हमारे शरीर का कोई अंग अगर अविकसित रहे तो हमारा शरीर विकसित नहीं माना जाएगा। हमारा शरीर का कोई अंग दुर्बल रहे तो हमारा स्वस्थ नहीं माना जाएगा वैसे ही मेरी भारत माता उसका कोई एक भू-भाग भी, समाज का कोई तबका भी अगर दुर्बल रहे तो मेरी भारत माता समर्थ है, स्वस्थ है ऐसा सोचकर के हम नहीं बैठ सकते। और इसलिए क्षेत्रीय आकांक्षाओं को हमें एड्रेस करने की आवश्यकता है और इसलिए हम समाज का सर्वांगीण विकास हो, सर्वपक्षीय विकास हो भू-भाग के हर क्षेत्र को उसकी अपनी ताकत को खिलने का अवसर मिले, उस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

भारत एक mother of democracy है, भारत model of diversity भी है। भाषाएँ अनेक हैं, बोलियाँ अनेक हैं, परिधान अनेक हैं, विविधताएँ बहुत है। हमने उन सारो के आधार पर आगे बढ़ना है।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

देश के, जब मैं एकता की बात करता हूँ तब अगर घटना मणिपुर में होती है तो पीढ़ा महाराष्ट्र में होती है, अगर बाढ़ असम में आती है तो बेचैन केरल हो जाता है। हिन्दुस्तान के किसी भी हिस्से में कुछ भी हो, हम एक अंगदान के भाव की अनुभूति करते हैं। मेरे देश की बेटियों पर जुल्म न हो, ये हमारा सामाजिक भी दायित्व है, ये हमारा पारिवारिक दायित्व भी है और ये देश के नाते हम सबका दायित्व है। आज जब अफगानिस्तान से गुरुग्रंथ साहब के स्वरूप को लाते है तो पूरा देश गौरव की अनुभूति करता है। जब आज दुनिया के किसी देश में कोविड के काल में मेरा कोई सिख भाई लंगर लगाता है, भूखों को खिलाता है और दुनिया में वाहा-वाही होती है तो हिंदुस्तान का सीना चौड़ा हो जाता है।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

हमारे लिए जब नारी सम्मान की बात करते है। मुझे अभी, एक देश में दौरा कर रहा था तो वहां एक बहुत की सीनियर मिनिस्टर उसने मुझे एक सवाल पूछा, उसने कहाँ आपके यहाँ बेटियाँ साइंस और इंजीनियरिंग के विषयों की पढ़ाई करती है क्या? मैंने उनको कहा आज मेरे देश में लड़कों से ज्यादा बेटियाँ आज STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स, अधिकतम भाग मेरी बेटियाँ ले रही हैं तो उनके लिए अचरच था। ये सामर्थ्य आज हमारे देश का दिख रहा है।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

आज 10 करोड़ महिलाएँ स्वयं सहायता समूह में जुड़ी हुई हैं और महिला स्वयं सहायता समूह के साथ आप गाँव में जाएँगे तो आपको बैंक वाली दीदी मिलेगी, आपको आंगनबाड़ी वाली दीदी मिलेगी, आपको दवाई देने वाली दीदी मिलेगी और अब मेरा सपना है, 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का, गाँव में 2 करोड़ लखपति दीदी। इसके लिए एक नया विकल्प भेजा, साइंस और टेक्नोलॉजी ने। हमारे गाँव की महिलाओं का सामर्थ्य देखता हूँ मैं और इसलिए मैं नई योजना सोच रहे हैं कि हमारे अग्रीकल्‍चर सेक्टर में टेक्‍नोलॉजी आए, एग्रीटेक को बल मिले, इसलिए महिला स्वयं सहायता समूह की बहनों को हम ट्रेनिंग देंगे। ड्रोन चलाने की, ड्रोन रिपेयर करने की हम ट्रेनिंग देंगे और हजारों ऐसे महिला स्वयं सहायता समूह को भारत सरकार ड्रोन देगी, ट्रेनिंग देगी और हमारे एग्रीकल्‍चर के काम में ड्रोन की सेवाएँ उपलब्‍ध हों, इसके लिए हम शुरूआत करेंगे, प्रारंभ हम 15 हजार महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा ये ड्रोन की उड़ान का हम आरंभ कर रहे हैं।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

आज देश आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है। हाइवे हो, रेलवे हो, एयरवे हो, आईवे हो, इन्फोर्मेशन वे हो, वाटर वे हो, कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिस क्षेत्र में आगे बढ़ाने की दिशा में आज देश काम न करता हो। पिछले 9 वर्ष में तटीय क्षेत्रों में, हमने आदिवासी क्षेत्र में, हमारे पहाड़ी क्षेत्र में विकास को बहुत बल दिया है। हमने पर्वत माला, भारत माला ऐसी योजनाओं के द्वारा समाज के उस वर्ग को हमने बल दिया है। हमने गैस की पाइपलाइन से हमारे पूर्वी भारत को जोड़ने का काम किया है। हमने अस्‍पतालों की संख्‍या बढ़ाई है। हमने डॉक्‍टर्स की सीटें बढ़ाई हैं ताकि हमारे बच्‍चे डॉक्‍टर बनने का सपना पूरा कर सकें। हमने मातृभाषा पर पढ़ाने में बदल दिया है और मातृभाषा में वो पढ़ाई कर सके उस दिशा में और मैं भारत के सुप्रीम कोर्ट का भी धन्‍यवाद करता हूँ कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब जो जजमेंट देंगे, उसका जो आपरेटिव पार्ट होगा, वो जो अदालत में आया है, उसकी भाषा में उसको उपलब्‍ध होगा। मातृभाषा का महात्म्य आज बढ़ रहा है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

आज तक हमारे देश के जो बॉर्डर विलेज हैं, हमने हाँ वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज का एक कार्यक्रम शुरू किया है। वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज अब तक इसके लिए कहा जाता था देश के आखिरी गाँव, हमने उस पूरी सोच को बदला है। वो देश का आखिरी गाँव नहीं है, सीमा पर जो नजर आ रहा है, वो मेरे देश का पहला गाँव है। अगर सूरज उगता है पूर्व में, तो उस तरफ के गाँव में पहली सूरज की किरण आती है। अगर सूरज ढलता है, तो इस तरफ के गाँव में आखिरी किरण का उसका लाभ मिलता है। ये मेरे पहले गाँव है और मुझे खुशी है कि आज मेरे इस कार्यक्रम के विशेष मेहमान, ये जो पहले गाँव हैं, सीमावर्ती गाँव हैं, उसके 600 प्रधान आज इस लाल किले की प्राचीर के इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्‍सा बनने के लिए आए हैं। पहली बार वो इतनी दूर तक आए हैं। नए संकल्‍प और सामर्थ्‍य के साथ जुड़ने के लिए आए हैं।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

हमने संतुलित विकास के लिए Aspirational District, Aspirational Block की कल्‍पना की और आज उसके सुखद परिणाम मिल रहे हैं। आज राज्‍य के जो Normal Parameters हैं, जो Aspirational Districts कभी बहुत पीछे थे, वो आज राज्‍य में भी अच्‍छा करने लग गए हैं और मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में ये हमारे आकांक्षित जिले, हमारे आकांक्षित ब्‍लॉक अवश्‍य आगे बढ़ेंगे। जैसा मैंने कहा था भारत के चरित्र की चर्चा कर रहा था, तो मैंने पहले कहा था भारत की एकता, दूसरा कहा था भारत श्रेष्‍ठता की तरफ बल दे, तीसरा महिला विकास की मैंने बात कही थी। मैं आज एक बात और कहना चाहता हूँ कि हम जैसे Regional aspiration मैंने चौथी बात कही थी, पांचवी महत्‍व की बात है और भारत ने अब उस दिशा में जाना है और वो है हमारा राष्‍ट्रीय चरित्र, विश्‍व मंगल के लिए सोचने वाला होना चाहिए। हमें देश को इतना मजबूत बनाना है, जो विश्‍व मंगल के लिए भी अपनी भूमिका अदा करें। आज कोरोना के बाद मैं देख रहा हूँ, जिस प्रकार से संकट की घड़ी में देश ने दुनिया की मदद की उसका परिणाम है कि आज दुनिया में हमारा देश एक विश्‍व मित्र के रूप में है। विश्‍व के अटूट साथी के रूप में है। आज मेरे देश की पहचान बनी है। हम जब विश्‍व मंगल की बात करते हैं, तब भारत का मूलभूत विचार है उस विचार को हम आगे बढ़ाने वाले लोग हैं और मुझे खुशी है कि आज अमेरिकी संसद के भी कई चुने हुए गणमान्‍य प्रतिनिधि भी आज हमारे 15 अगस्‍त के इस अवसर में हमारे बीच में मौजूद हैं। भारत की सोच कैसी है, हम विश्‍व मंगल की बात को कैसे आगे बढ़ाते हैं। अब देखिए, जब हम जब सोचते हैं तो क्‍या कहते हैं, हमने दुनिया के सामने ये दर्शन रखा है, और दुनिया उस दर्शन को लेकर के हमारे साथ जुड़ रही है। हमने कहा One Sun, One World, One Grid। Renewable energy के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा हमारा statement है, आज दुनिया उसको स्‍वीकार कर रही है। कोविड के बाद हमने दुनिया को कहा हमारा ये approach होना चाहिए One Earth, One Health समस्‍याओं का समधान तभी होगा, जब मानव को, पशु को, पौधे को बीमारी के समय में समान रूप से address किया जाएगा, तब जाकर के हम ये करेंगे। हमने जी-20 समिट के लिए दुनिया के सामने कहा है One World, One Family, One Future इस सोच को लेकर के चल रहें हैं। हमने क्‍लाईमेट को लेकर के दुनिया जो संकट से जूझ रही है, हमने रास्‍ता दिखाया है, लाइव मिशन लॉन्‍च किया है Lifestyle For Environment। हमने दुनिया के सामने मिलकर International Solar Alliance बनाया और आज दुनिया के कई देश International Solar Alliance का हिस्‍सा बन रहे हैं। हमने bio diversity का महत्‍व देखते हुए Big Cat Alliance की व्‍यवस्‍था को हमने आगे बढ़ाया है। हमने प्राकृतिक आपदा के कारण गलोबल वार्मिग के कारण Infrastructure का जो नुकसान होता है, उसके लिए दूरगामी व्‍यवस्‍थाओं की जरूरत है। और इसलिए Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, CDRI एक समाधान के रूप में दुनिया को दिया है। विश्‍व आज समुद्रों को संघर्ष का केंद्र बना रहा है, तब हमने दुनिया को सागर का प्‍लेटफार्म दिया है। जो वैश्विक सामुद्रिक शांति की गारंटी बन सकता है। हमने पारंपरिक चिकित्‍सा पद्धति को बल देते हुए WHO का एक ग्‍लोबल लेवल का सेंटर हिंदुस्‍तान में बनाने की दिशा में काम किया है। हमने योग और आयुष के द्वारा विश्‍व कल्‍याण और विश्‍व की स्वस्थता की दिशा में काम किया है। आज भारत विश्‍व मंगल की मजबूत नींव डाल रहा है। इस मजबूत नींव को आगे बढ़ाना, हम सबका काम है। हम सबकी जिम्मेदारी है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों

सपने अनेक हैं, संकल्‍प साफ है, नीतियाँ स्‍पष्‍ट हैं। नियत के सामने कोई सवालिया निशान नहीं है। लेकिन कुछ सच्‍चाइयों को हमें स्‍वीकार करना पड़ेगा और उसके समाधान के लिए मेरे प्रिय परिवारजनों, मैं आज लाल किले से आपकी मदद माँगने आया हूँ, मैं लाल किले से आपका आर्शीवाद माँगने आया हूँ। क्‍योंकि पिछले सालों मैंने देश को जो समझा है, देश की आवश्‍यकताओं को जो मैंने परखा है। और अनुभव के आधार पर मैं कह रहा हूँ कि आज गंभीरतापूर्वक उन चीजों को हमें लेना होगा। आजादी के अमृतकाल में, 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएंगा, उस समय दुनिया में भारत का तिरंगा-झंडा विकसित भारत का तिरंगा-झंडा होना चाहिए, रत्‍ती भर भी हमें रुकना नहीं है, पीछे हटना नहीं है और इसके लिए सुचिता, पारदर्शिता और निष्‍पक्षता ये पहली मजबूती की जरूरत है। हमें उस मजबूती को जितना ज्‍यादा खाद पानी दे सकते हैं, संस्‍थाओं के माध्‍यम से दे सकते हैं, नागरिक के नाते दे सकते हैं, परिवार के नाते दे सकते हैं यह हमारा सामूहिक दायित्‍व होना चाहिए। और इसलिए पिछले 75 साल का इतिहास देखिए, भारत के सामर्थ्‍य में कोई कमी नहीं थी और यह जो देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था वो देश क्यों न फिर से उस सामर्थ्‍य को ले करके खड़ा हो सकता है। मेरा अटूट विश्‍वास है साथियों, मेरे प्रिय परिवारजनों, मेरा अखंड, अटूट, एक निष्ठ विश्‍वास है कि 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा मेरा देश विकसित भारत बनकर रहेगा। यह मैं मेरे देश के सामर्थ्‍य के आधार पर कह रहा हूँ। मेरे उपलब्‍ध संसाधनों के आधार पर कह रहा हूँ और सबसे ज्‍यादा 30 से कम आयु वाली मेरी युवा शक्ति के भरोसे कह रहा हूँ। मेरी माताओं-बहनों के सामर्थ्‍य के भरोसे कह रहा हूँ, लेकिन उसके सामने अगर कोई रुकावट है, कुछ भी कृतियाँ पिछले 75 साल में ऐसे घर कर गई है, हमारी समाज व्‍यवस्‍था का ऐसा हिस्‍सा बन गई है कि कभी-कभी तो हम आँख भी बंद कर देते हैं। अब आँख बंद करने का समय नहीं है। अगर सपनों को सिद्ध करना है, संकल्‍प को पार करना है तो हमें यह आँख-मिचौली बंद करके आँख में आँख मिला करके तीन बुराइयों से लड़ना बहुत समय की माँग है। हमारे देश की सारी समस्‍याओं की जड़ में भ्रष्‍टाचार ने दीमक की तरह देश की सारी व्‍यवस्‍थाओं को, देश के सारे सामर्थ्‍य को पूरी तरह नोंच लिया है। भ्रष्‍टाचार से मुक्ति, भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग हर ईकाई में हर क्षेत्र में और मैं देशवासियों, मेरे प्रिय परिवारजनों, यह मोदी के जीवन का कमिटमेंट है, यह मेरे व्‍यक्तित्‍व का एक कमिटमेंट है कि मैं भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। दूसरा हमारे देश को नोंच लिया है परिवारवाद ने। इस परिवारवाद ने देश को जिस प्रकार से जकड़ करके रखा है उसने देश के लोगों का हक छीना है, और तीसरी बुराई तुष्टिकरण की है। यह तुष्टिकरण में भी देश के मूल चिंतन को, देश के सर्वसमावेशक हमारे राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगा दिए हैं। तहस-नहस कर दिया इन लोगों ने। और इसलिए मेरे प्‍यारे देशवासियों, इसलिए मेरे प्‍यारे परिवारजनों हमें इन तीन बुराइयों के खिलाफ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है। भ्रष्‍टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण यह चुनौतियाँ, ये ऐसी चीजें पनपी है जो हमारे देश के लोगों का, जो आकांक्षाएँ है, उसका दमन करती है। हमारे देश के कुछ लोगों के पास जो छोटा-मोटा सामर्थ्‍य है उसका शोषण करती है। यह ऐसी चीजें हैं, जो हमारे लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को सवाल या निशान में गढ़ देती है। हमारे गरीब हो, हमारी दलित हो, हमारे पिछड़े हो, हमारे पसमांदा हो, हमारे आदिवासी भाई-बहन हो, हमारी माताएँ-बहनें हो, हमने सबने उनके हकों के लिए इन तीन बुराइयों से मुक्ति पानी है। हमें भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक नफरत का माहौल बनाना है। जैसे गंदगी हमें नफरत पैदा करती है न मन में, गंदगी पसंद नहीं है, यह सार्वजनिक जीवन की इससे बड़ी कोई गंदगी नहीं हो सकती। इसलिए हमारे स्‍वच्‍छता अभियान को एक नया मोड़ ये भी देना है कि हमें भ्रष्‍टाचार से मुक्ति पानी है। सरकार टेक्‍नोलॉजी से भ्रष्‍टाचार की मुक्ति के लिए बहुत प्रयास कर रही है। आपको जान कर हैरानी होगी, इस देश में पिछले 9 साल में एक काम मैंने ऐसा किया; आँकड़ा सुनोगे तो लगेगा कि मोदी ऐसा करता है जैसे दस करोड़ लोग करीब-करीब जो गलत फायदा उठाते थे, वो मैंने रोक दिया। तो आप में से कोई कहेगा आपने लोगों से अन्‍याय कर दिया; जी नहीं, ये दस करोड़ लोग कौन लोग थे, ये दस करोड़ लोग वो लोग थे, जिनका जन्‍म ही नहीं हुआ था और उनके नाम पर उनके विधवा हो जाते थे, वो वृद्ध हो जाते थे, वो दिव्‍यांग हो जाते थे, फायदे लिए जाते थे। दस करोड़ ऐसी बेनामी चीजें जो चलती थीं, उसको रोकने का पवित्र काम, भ्रष्‍टाचारियों की संपत्ति जो हमने जब्‍त की है ना, वो पहले की तुलना में 20 गुना ज्‍यादा की है।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

ये आपकी कमाई का पैसा लोग ले करके भागे थे। 20 गुना ज्‍यादा संपत्ति को जब्‍त करने का, और इसलिए लोगों की मेरे प्रति नाराजगी होना बहुत स्‍वाभाविक है। लेकिन मुझे भ्रष्‍टाचार के खिलाफ की लड़ाई को आगे बढ़ाना है। हमारी सरकारी व्‍यवस्‍था ने, पहले कैमरा के सामने तो कुछ हो जाता था, लेकिन बाद में चीजें अटक जाती थीं। हमने पहले की तुलना में कई गुना ज्‍यादा अदालत में चार्जशीट की है और अब जमानतें भी नहीं मिलती हैं, वैसी पक्‍की व्‍यवस्‍था को ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं, क्‍योंकि हम ईमानदारी से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। आज परिवारवाद और तुष्टिकरण इसने देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्‍य किया है। अब लोकतंत्र में ये कैसे हो सकता है कि पॉलिटिकल पार्टी, और मैं विशेष बल दे रहा हूँ पॉलिटिकल पार्टी, आज मेरे देश के लोकतंत्र में एक ऐसी विकृति आई है जो कभी भारत के लोकतंत्र को मजबूती नहीं दे सकती और वो क्‍या है बीमारी, परिवारवादी पार्टियाँ। उनका तो मंत्र क्‍या है, पार्टी ऑफ द फैमिली, बाय द फैमिली एंड फॉर द फैमिली। इनका तो जीवन मंत्र यही है कि उनकी पॉलिटिकल पार्टी, उनका राजनीतिक दल परिवार का, परिवार के द्वारा और परिवार के लिए। परिवारवाद और भाई-भतीजावाद प्रतिभाओं के दुश्‍मन होते हैं, योग्‍यताओं को नकारते हैं, सामर्थ्‍य को स्‍वीकार नहीं करते हैं। और इसलिए परिवारवाद की इस देश के लोकतंत्र की मजबूती के लिए उसकी मुक्ति जरूरी है। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय, हर किसी को हक मिले, इसलिए और सामाजिक न्‍याय के लिए भी ये बहुत जरूरी है, उसी प्रकार से तुष्टिकरण, तुष्टिकरण ने सामाजिक न्‍याय का सबसे बड़ा नुकसान किया है। अगर सामाजिक न्‍याय को तबाह किसी ने किया है तो ये तुष्टिकरण की सोच, तुष्टिकरण की राजनीति, तुष्टिकरण का सरकारी योजनाओं का तरीका, इसने सामाजिक न्‍याय को मौत के घाट उतार दिया है। इसलिए हमें तुष्टिकरण, भ्रष्‍टाचार, ये विकास के सबसे बड़े दुश्‍मन हैं। अगर देश विकास चाहता है, देश 2047, विकसित भारत का सपना साकार करना चाहता है तो हमारे लिए आवश्‍यक है कि हम किसी भी हालत में देश में भ्रष्‍टाचार को सहन नहीं करेंगे, इस मूड को ले करके चलना चाहिए।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

हम सबका एक बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण दायित्‍व है, आपने जिस प्रकार से जिंदगी जी है, हमारी आने वाली पीढ़ी को ऐसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर करना, ये हमारा गुनाह है, ये हमारा दायित्‍व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम ऐसा समृद्ध देश दें, ऐसा संतुलित देश दें, ऐसा सामाजिक न्याय की धरोहर वाला देश दें, ताकि छोटी-छोटी चीजों को पाने के लिए उन्हें कभी भी संघर्ष न करना पड़े। हम सभी का कर्तव्य, हर नागरिक कर्तव्य है और ये अमृतकाल कर्तव्यकाल है। हम कर्तव्य से पीछे नहीं हो सकते हैं, हमें वो भारत बनाना है, जो पूज्य बापू के सपनों का था, हमें वो भारत बनाना है जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था, हमें वो भारत बनाना है जो हमारे वीर-शहीदों का था, हमारी वीरांगनाओं का था, जिन्होंने मात्रभूमि के लिए अपना जीवन दे दिया था।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

मैं जब 2014 में आपके पास आया था तब 2014 में मैं परिवर्तन का वादा लेकर के आया था। 2014 में मैंने आपको वादा किया था मैं परिवर्तन लाऊँगा। 140 करोड़ मेरे परिवारजन आपने मुझ पर भरोसा किया और मैंने विश्वास पूरा करने की कोशिश की। रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म वो 5 साल जो वादा था वो विश्वास में बदल गया क्योंकि मैंने परिवर्तन का वादा किया था। रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के द्वारा मैंने इस वादे को विश्वास में बदल दिया है। कठोर परिश्रम किया है, देश के लिए किया है, शान से किया है, सिर्फ और सिर्फ नेशन फर्स्ट, राष्ट्र सर्वोपरि इस भाव से किया है। 2019 में परफॉर्मेंस के आधार पर आप सबने मुझे फिर से आशीर्वाद दिया। परिवर्तन का वादा मुझे यहाँ ले आया, परफॉर्मेंस मुझे दोबारा ले आया और आने वाले 5 साल अभूतपूर्व विकास के हैं। 2047 के सपने को साकार करने का सबसे बड़ा स्वर्णिम पल आने वाले 5 साल हैं। और अगली बार 15 अगस्त को इसी लाल किले से मैं आपको देश की उपलब्धियाँ, आपके समार्थ्य, आपके संकल्प उसमें हुई प्रगति, उसकी जो सफलता है, उसके गौरवगान उससे भी अधिक आत्मविश्वास के साथ, आपके सामने में प्रस्तुत करूँगा।

मेरे प्यारे प्रियजनों,

मेरे परिवारजनों, मैं आप में से आता हूँ, मैं आपके बीच से निकला हूँ, मैं आपके लिए जीता हूँ। अगर मुझे सपना भी आता है, तो आपके लिए आता है। अगर मैं पसीना भी बहाता हूँ तो आपके लिए बहाता हूँ, क्योंकि इसलिए नहीं कि आपने मुझे दायित्व दिया है, मैं इसलिए कर रहा हूँ कि आप मेरे परिवाजन हैं और आपके परिवार के सदस्य के नाते मैं आपके किसी दु:ख को देख नहीं सकता हूँ, मैं आपके सपनों को चूर-चूर होते नहीं देख सकता हूँ। मैं आपके संकल्प को सिद्धी तक ले जाने के लिए आपका एक साथी बनकर के, आपका एक सेवक बनकर के, आपके साथ जुड़े रहने का, आपके साथ जीने का, आपके लिए जूझने का मैं संकल्प लेकर के चला हुआ इंसान हूँ और मुझे विश्वास है हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए जो जंग लड़ा था, जो सपने देखे थे, वो सपने हमारे साथ हैं। आजादी के जंग में जिन्होंने बलिदान दिया था, उनके आशीर्वाद हमारे साथ हैं और 140 करोड़ देशवासियों के लिए एक ऐसा अवसर आया है, ये अवसर हमारे लिए एक बहुत बड़ा संबल लेकर के आया है।

और इसलिए मेरे प्यारे प्रियजनों,

आज जब मैं अमृतकाल में आपके साथ बात कर रहा हूँ, ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, ये अमृतकाल के पहले वर्ष पर जब मैं आपके बात कर रहा हूँ तो मैं आपको पूरे विश्वास से कहना चाहता हूँ;

चलता चलाता कालचक्र,
अमृतकाल का भालचक्र,
सबके सपने, अपने सपने,
पनपे सपने सारे, धीर चले, वीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही रीती नई, गति सही राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम।

मेरे प्‍यारे परिवारजनों,

हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में बैठे हुए मेरे परिवारजनों, दुनिया के कोने-कोने में जा करके बसे हुए मेरे परिवारजन, आप सबको आजादी के पावन पर्व की फिर एक बार मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। ये अमृतकाल हम सबके लिए कर्तव्य काल है। ये अमृतकाल हम सबको माँ भारती के लिए कुछ कर गुजरने का काल है। आजादी का जब जंग चल रहा था, 1947 के पहले जो पीढ़ी ने जन्‍म लिया था, उन्‍हें देश के लिए मरने का मौका मिला था। वो देश के लिए मरने के लिए मौका नहीं छोड़ते थे लेकिन हमारे नसीब में देश के लिए मरने का मौका नहीं है। लेकिन हमारे लिए देश के लिए जीने का ये इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता। हमें पल-पल देश के लिए जीना है, इसी संकल्‍प के साथ इस अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों के सपने संकल्‍प भी बनाने हैं। 140 करोड़ देशवासियों के संकल्‍प को सिद्धि में भी परिवर्तित करना है और 2047 का जब तिरंगा झंडा फहरेगा, तब विश्‍व एक विकसित भारत का गुणगान करता होगा। इसी विश्‍वास के साथ, इसी संकल्‍प के साथ मैं आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

जय हिन्‍द, जय हिन्‍द, जय हिन्‍द!

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम!

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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